जीवन का सत्य
जीवन का सत्य
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आप पूरी पृथ्वी पर कारपेट नहीं बिछा सकते, किन्तु आप एक जोड़ी जूते पहेनकर इसे महेसूस कर सकते हैं, यह कहावत भी अच्छे नजरिये के उस पहेलु को दर्शाती है की जो हमारे पास नहीं हैं उसका रोना रोने के बजाये जो हमें कुदरत से मिला है, उसी में जिन्दगी को आनंद से जियें. जिस दिन हम अपने नजरियें में अच्छा और सकारात्मक बदलाओं ले आयेंगे, उस दिन से हमारी परेशानियाँ, चिंताएं सब कुछ ख़तम हो जायेंगी, फिर आप भी केह सकेंगे नजरिया बदलिए नज़ारे बदल जाएंगे.loading...
आप जो भोजन दान करते हैं. वो पेट में चार घंटे रहता है, जो वस्त्र दान करते हैं, वो चार महीने रहता है. लेकिन जो ज्ञान है वो तुम्हारी अंतिम रवांश तक साथ रहता है. और संस्कार बनकर तुम्हारे साथ ही जाता है ज्ञान का बीज व्यर्थ नहीं जाता कभी भी. जो है जितना है सफल करते चलो सफल करने से सफलता मिलती ही है. हर व्यक्ति को हर बात को Positive तरीके से देखो, सुनो या सोचो. हम जितना जियादा पढ़ते हैं, सुनते हैं, समझते हैं, हमें अपनी अज्ञानता का उतना ही जियादा अहेसास होता जाता है.
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दोस्तों हम सब अपनी पूरी life देखते देखते ऐसे ही गुजार देते हैं, कभी ये सोचने पे जोर नहीं देते की जीवन का सत्य किया है.ईश्वर ने हमें क्यूँ बनाया ? बस हम अपनी जीवन में व्यस्त हैं. और अंतिम समय में भी कुछ लोग मानव जीवन का महत्त्व को नहीं समझ पाते. और बाद में पछताते हैं.
एक गाँव में एक बहुत बड़ा धनवान रहेता था, लोग उसे सेठ- सेठ के नाम से भी पुकारते थे, उस सेठ के पास प्रचुर मात्रा में धन संपत्ति थी, उसके सगे संबंधी, रिश्तेदार, भाई बहेन हमेशा उसे घेरे रहेते थे, सेठ को एक पल के लिए भी अकेला नहीं रहेने देते थे, सेठ भी उन सभी लोगों की काफी मदद करता था. तभी अचानक कुछ समय बाद सेठ को भयंकर रोग लग गया.
एक गाँव में एक बहुत बड़ा धनवान रहेता था, लोग उसे सेठ- सेठ के नाम से भी पुकारते थे, उस सेठ के पास प्रचुर मात्रा में धन संपत्ति थी, उसके सगे संबंधी, रिश्तेदार, भाई बहेन हमेशा उसे घेरे रहेते थे, सेठ को एक पल के लिए भी अकेला नहीं रहेने देते थे, सेठ भी उन सभी लोगों की काफी मदद करता था. तभी अचानक कुछ समय बाद सेठ को भयंकर रोग लग गया.
इस भयंकर बिमारी का सेठ ने बहुत उपचार करवाया लेकिन इसका इलाज नहीं हो सका. इस बड़ी बीमारी के कारण सेठ की मृत्यु हो गयी. यमदूत उस सेठ को अपने साथ ले जाने के लिए आगये, जैसे ही यमदूत सेठ को लेजाने लगे तभी सेठ ने थोड़ी दूर जाकर दूतों से प्रार्थना कि “मुझे थोडा सा समय देदो में लोटकर तुरंत आता हूँ” दूतों ने उसे अनुमति देदी. सेठ लौटकर गया, चारों और नजरें घुमायीं और वापस यमदूतों के पास आकर बोला “शिग्र चलिए” यमदूत उसे इस प्रकार अपने साथ चलने के लिए तैयार देख कर चकित रेह गए और सेठ से इसका कारण पूछा.
सेठ बोला, “मेने हेराफेरी करके अपार धन एकत्रित किया था, लोगों को खूब खिलाया-पिलाया, और उनकी बहुत मदद की थी, सोचा था की वो मेरा साथ कभी नहीं छोड़ेंगे, अब जब इस दुनिया को सदा के लिए छोड़ कर जारहा हूँ तो वो सब बदल गए हैं, मेरे लिए दुखी होने के बजाये ये अभी से मेरी संपत्ति को बाटने की योजना बनाने लगे हैं किसी को भी मेरे लिए अफ़सोस नहीं हैं ”.
सेठ की बात सुनकर यमदूत बोले, ’इस संसार में प्राणी अकेला ही आता है और अकेला ही जाता है, इंसान जो भी अच्छा या बुरा कर्म करता है उसे उसका परिणाम स्वयं ही भुगतना पढता है,
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